प्राचीन भारत के विमान और जहाज : प्राचीन भारत में एक ओर जहां आसमान में विमान उड़ते थे वहीं नदियों में नाव और समुद्र में जहाज चलते थे। रामायण काल में भगवान राम एक नाव में सफर करके ही गंगा पार करते हैं तो वे दूसरी ओर उनके द्वारा पुष्पक विमान से ही अयोध्या लौटने का वर्णन मिलता हैं। दूसरी ओर संस्कृत और अन्य भाषाओं के ग्रंथों में इस बात के कई प्रमाण मिलते हैं कि भारतीय लोग समुद्र में जहाज द्वारा अरब और अन्य देशों की यात्रा करते थे।
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प्राचीन भारत में जहाज का आविष्कार कैसे हुआ...
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खोज लिए रावण के हवाई अड्डे
प्राचीन भारत के शोधकर्ता मानते हैं कि रामायण और महाभारतकाल में विमान होते थे जिसके माध्यम से विशिष्टजन एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुगमता से यात्रा कर लेते थे। विष्णु, रावण, इंद्र, बालि आदि सहित कई देवी और देवताओं के अलावा मानवों के पास अपने खुद के विमान हुआ करते थे। विमान से यात्रा करने की कई कहानियां भारतीय ग्रंथों में भरी पड़ी हैं। यहीं नहीं, कई ऐसे ऋषि और मुनि भी थे, जो अंतरिक्ष में किसी दूसरे ग्रहों पर जाकर पुन: धरती पर लौट आते थे।
वर्तमान समय में भारत की इस प्राचीन तकनीक और वैभव का खुलासा कोलकाता संस्कृत कॉलेज के संस्कृत प्रोफेसर दिलीप कुमार कांजीलाल ने 1979 में एंशियंट एस्ट्रोनट सोसाइटी (Ancient Astronaut Society) की म्युनिख (जर्मनी) में संपन्न छठी कांग्रेस के दौरान अपने एक शोध पत्र से किया। उन्होंने उड़ सकने वाले प्राचीन भारतीय विमानों के बारे में एक उद्बोधन दिया और पर्चा प्रस्तुत किया।
Description: Ravana aeroplane
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वर्तमान समय में भारत की इस प्राचीन तकनीक और वैभव का खुलासा कोलकाता संस्कृत कॉलेज के संस्कृत प्रोफेसर दिलीप कुमार कांजीलाल ने 1979 में एंशियंट एस्ट्रोनट सोसाइटी (Ancient Astronaut Society) की म्युनिख (जर्मनी) में संपन्न छठी कांग्रेस के दौरान अपने एक शोध पत्र से किया। उन्होंने उड़ सकने वाले प्राचीन भारतीय विमानों के बारे में एक उद्बोधन दिया और पर्चा प्रस्तुत किया।
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