भगवान श्रीकृष्ण जिन्हें कभी रणछोड़ तो कभी महाभारत का युद्ध करवाने वाले वाले कूटनीतिज्ञ के रूप में जाना जाता है. महाभारत में अर्जुन के सारथी रहे श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश के माध्यम से जीवन बारे में ऐसी कई बातें बताई है, जो आज भी सार्थक मानी जाती है. वहीं महाभारत की अनगिनत कहानियों और पात्रों के माध्यम से हमें जीवन के प्रति एक नजरिया भी मिलता है. महाभारत में ऐसी ही एक कहानी है अर्जुन पुत्र इरावन की. जिसने अपने पिता को विजय करवाने के लिए खुद की बलि दी थी. बलि देने से पहले उसकी अंतिम इच्छा थी कि वह मरने से पहले विवाह कर ले, लेकिन जिसकी मृत्यु निकट हो, भला उससे कौन-सी लड़की विवाह करना चाहेगी, इसलिए इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी.
इरावन ने इसलिए दी थी स्वंय की बलि
महाभारत के प्रसंग में एक कहानी ये भी है कि पांडवों को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए एक राजकुमार की बलि मां काली के सामने देनी थी, लेकिन कोई भी राजकुमार इसके लिए तैयार नहीं था. अपने पिता और परिवार की दुविधा देखते हुए इरावन ने स्वंय की बलि दे दी थी.
अंतिम इच्छा को भगवान श्रीकृष्ण ने इस प्रकार किया पूरा
मृत्यु से पहले इरावन ने विवाह करने की अपनी अंतिम इच्छा जताई. किसी भी लड़की के द्वारा विवाह प्रस्ताव स्वीकार न करने के कारण सभी दुविधा में पड़ गए. तब पांचों पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण से कोई मार्ग निकालने के लिए कहा. तब कोई दूसरा विकल्प न देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धारण कर लिया और इरावन की इच्छा पूरी करते हुए उनसे विवाह कर लिया. अपने पति इरावन की मृत्यु के बाद मोहिनी का रूप धारण किए श्रीकृष्ण ने एक विधवा के रूप में विलाप भी किया था.
पौराणिक कहानियों के अनुसार माना जाता है कि श्रीकृष्ण के पुरूष होते हुए उन्हें स्त्री रूप धारण करना पड़ा, इस वजह से वो किन्नर के रूप में माने गए. तब से इरावन किन्नरों के स्वामी भी माने जाते हैं और किन्नर उनसे विवाह रचाते हैं
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