गुरुवार, 31 अगस्त 2017
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महाभारत एक ऐसी कथा है जिसके साथ में कई रोचक किस्से जुड़े हुए हैं। ऐसा ही एक कथा है जब युधिष्ठिन ने अश्वमेघ यज्ञ करने का प्रण किया तो अर्जुन ने समस्त पृथ्वी पर युधिष्ठिर का एक छत्र राज स्थापित कर दिया। यह देखकर युधिष्ठिर के साथ वहां उपस्थित सभी लोग काफी उत्साहित व हर्षित हुए।
फिर भगवान कृष्ण की निगरानी में यज्ञ के लिए भूमि का चयन किया गया। शुभ दिन और शुभ मुहूर्त पर यज्ञ प्रारम्भ हुआ। यज्ञ में शामिल होने के लिए दूर-दूर से राजा-महाराजाओं को आमंत्रित किया गया और सभी इस वैभवशाली यज्ञ को देखने के लिए वहां उपस्थित हुए।
पाण्डवों ने यज्ञ में आए सभी अतिथियों का उचित आदर सत्कार किया। जब यज्ञ पूर्ण हुआ तो युधिष्ठिर ने सम्पूर्ण धरती ब्राह्मणों को दान में दे दी। लेकिन महर्षि वेदव्यास ने ब्राह्मणों का प्रतिनिधि बनकर वापस से सम्पूर्ण धरती युधिष्ठिर को वापस दे दी। इसके बदले उन्होंने ब्राह्मणों को सोना देने को कहा।
युधिष्ठिर ने वेदव्यास की बात मानते हुए ब्राह्मणों को सोना दान में दिया। जिसको पाकर ब्राह्मण काफी खुश हुए और उन्होंने युधिष्ठिर को आर्शीवाद दिए। इस प्रकार भगवान कृष्ण के निर्देशन में अश्वमेघ यज्ञ सकुशल संपन्न हुआ।
क्यो युधिष्ठिर ने ब्राह्मणों को दी पृथ्वी दान!
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On: अगस्त 31, 2017
महाभारत एक ऐसी कथा है जिसके साथ में कई रोचक किस्से जुड़े हुए हैं। ऐसा ही एक कथा है जब युधिष्ठिन ने अश्वमेघ यज्ञ करने का प्रण किया तो अर्जुन ने समस्त पृथ्वी पर युधिष्ठिर का एक छत्र राज स्थापित कर दिया। यह देखकर युधिष्ठिर के साथ वहां उपस्थित सभी लोग काफी उत्साहित व हर्षित हुए।
फिर भगवान कृष्ण की निगरानी में यज्ञ के लिए भूमि का चयन किया गया। शुभ दिन और शुभ मुहूर्त पर यज्ञ प्रारम्भ हुआ। यज्ञ में शामिल होने के लिए दूर-दूर से राजा-महाराजाओं को आमंत्रित किया गया और सभी इस वैभवशाली यज्ञ को देखने के लिए वहां उपस्थित हुए।
पाण्डवों ने यज्ञ में आए सभी अतिथियों का उचित आदर सत्कार किया। जब यज्ञ पूर्ण हुआ तो युधिष्ठिर ने सम्पूर्ण धरती ब्राह्मणों को दान में दे दी। लेकिन महर्षि वेदव्यास ने ब्राह्मणों का प्रतिनिधि बनकर वापस से सम्पूर्ण धरती युधिष्ठिर को वापस दे दी। इसके बदले उन्होंने ब्राह्मणों को सोना देने को कहा।
युधिष्ठिर ने वेदव्यास की बात मानते हुए ब्राह्मणों को सोना दान में दिया। जिसको पाकर ब्राह्मण काफी खुश हुए और उन्होंने युधिष्ठिर को आर्शीवाद दिए। इस प्रकार भगवान कृष्ण के निर्देशन में अश्वमेघ यज्ञ सकुशल संपन्न हुआ।
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